सरदार सरोवर बांध: इतिहास, विवाद, जनता‐लाभ और भविष्य की चुनौतियाँ
प्रस्तावना
भारत की विकास यात्रा में बड़े बांधों का योगदान अमूल्य रहा है—सिंचाई, जल आपूर्ति, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण में। लेकिन बड़े बांधों का निर्माण सिर्फ तकनीकी या आर्थिक पहलू नहीं है; इनके पीछे सामाजिक, पर्यावरणीय और न्याय‐निति सम्बन्धी समस्याएँ भी छिपी होती हैं। सरदार सरोवर बांध (Sardar Sarovar Dam) इस तरह का एक बड़ा प्रोजेक्ट है जिसमें विकास और विवाद दोनों ही समाहित हैं। इस लेख में हम देखेंगे कि इस बांध की योजना कैसे शुरू हुई, निर्माण प्रक्रिया कैसी रही, विवादों ने क्या मुद्दे उठाए, वर्तमान में यह किस हद तक पूरा हुआ है, जनता को क्या लाभ हुआ है और आगे क्या चुनौतियाँ हैं।
इतिहास (History)
योजना की शुरुआत और प्रस्तावना
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सरदार सरोवर बांध परियोजना (Sardar Sarovar Project) नर्मदा नदी पर बनी है। इसका उद्देश्य नर्मदा नदी के बहाव को नियंत्रित कर पानी सिंचाई, पीने के पानी, और विद्युत्त उत्पादन की सुविधा देना है। (Wikipedia)
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इस परियोजना की शुरुआत विचार के स्तर पर बहुत पहले हुई थी। सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस परियोजना का विचार दिया। (BYJU'S)
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फ़ाउंडेशन स्टोन रखा गया था अप्रैल 1961 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा। लेकिन वास्तविक निर्माण (construction) 1987 में आरंभ हुआ। (Wikipedia)
न्यायिक और राजनीतिक बाधाएँ
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पहले कुछ वर्षों में राज्यों के बीच जल एवं शक्ति वितरण को लेकर विवाद उठा। मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्य शामिल थे। इन विवादों को सुलझाने के लिए Narmada Water Disputes Tribunal (NWDT) की स्थापना हुई। (BYJU'S)
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पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों को लेकर Narmada Bachao Andolan (NBA) उत्पन्न हुआ, जिसमें प्रभावित लोगों और आदिवासी समुदायों ने न्याय की मांग की। (The Guardian)
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न्यायालयीन हस्तक्षेप हुआ। 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण को कुछ समय के लिए रोका। (The Guardian)
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फिर परियोजना को कुछ शर्तों के साथ पुनः शुरू किया गया, जिसमें प्रभावितों की पुनर्वास (rehabilitation), पर्यावरणीय उपाय (mitigation), बांध की ऊँचाई आदि विषय शामिल थे। (Factor This™)
निर्माण, ऊँचाई वृद्धि और संसाधन
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बांध का निर्माण 1987 में शुरू हुआ। (Wikipedia)
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शुरुआत में बांध की ऊँचाई एवं जलस्तर (height / FRL / Full Reservoir Level) को सीमित रखा गया था ताकि कम से कम विनाश हो। बाद में चरणबद्ध तरीके से ऊँचाई को बढ़ाया गया। उदाहरण स्वरूप, सुप्रीम कोर्ट निर्देशों तथा Narmada नियंत्रण प्राधिकरण की मंजूरी से बांध की ऊँचाई धीरे-धीरे बढ़ाकर अन्ततः लगभग 163 मीटर हुई। (Wikipedia)
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बांध की लंबाई लगभग 1210 मीटर है। (Wikipedia)
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तितर‐बितर जनसंख्या पेयजल-आवश्यकताओं, कृषि सिंचाई और बिजली उत्पादन की दृष्टि से लाभार्थी राज्यों में विभाजन हुआ। (Factor This™)
उद्घाटन और पूर्णता
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उद्घाटन: 17 सितंबर 2017 को, गुजरात के मुख्य मंत्री / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांध का उद्घाटन किया। (news.xinhuanet.com)
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उद्घाटन के समय बांध की ऊँचाई (normal operational level) लगभग 138.68 मीटर थी। (BYJU'S)
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बिजली उत्पादन क्षमता और जल संचयन (reservoir storage) तथा बांध की दीवारों (gates) को पूरी तरह बंद करने की प्रक्रिया आदि उस समय पूरी हुई थीं। (Factor This™)
तकनीकी और भौगोलिक विशेषताएँ (Technical & Geographical Features)
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| स्थान | Kevadia, नर्मदा ज़िला, गुजरात (नर्मदा नदी पर) (Wikipedia) |
| प्रकार | कंक्रीट ग्रेविटी बांध (Concrete Gravity Dam) (Factor This™) |
| ऊँचाई (पूर्ण नींव से) | लगभग 163 मीटर (Wikipedia) |
| लंबाई | लगभग 1210 मीटर (Wikipedia) |
| जलाशय (Reservoir) क्षमता | कुल क्षमता लगभग 9.460 km³ (≈ 334.12 TMC ft) (Wikipedia) |
| बिजली उत्पादन क्षमता | लगभग 1,450 मेगावॉट (मुख्य और कैनाल-हेड पावरहाउस सहित) (Factor This™) |
| सेवा क्षेत्र / लाभ-राज्यों की संख्या | गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तथा राजस्थान शामिल हैं (Wikipedia) |
सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव (Social & Environmental Impact)
लाभ (Positive Impacts)
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सिंचाई और कृषि
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सूखे-प्रवण क्षेत्रों, विशेषकर सौराष्ट्र और कच्छ में किसानों को पानी मिला। (Wikipedia)
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बड़े क्षेत्र में फसलों की पैदावार में सुधार हुआ।
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पीने का पानी
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गांवों और शहरों को पेयजल आपूर्ति में सुधार हुआ। (Wikipedia)
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बिजली उत्पादन
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बिजली उत्पादन के ज़रिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता बढ़ी।
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बाढ़ नियंत्रण
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नदी के बहाव और वर्षा के समय बाढ़ का प्रबंधन संभव हुआ। बांध के द्वारा नियंत्रित रिलीज की सुविधा।
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आर्थिक विकास और रोजगार
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निर्माण, पुनर्वास, और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से रोजगार के अवसर बढ़े।
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आसपास के क्षेत्रों में विकास (सड़कें, आवास, पर्यटन आदि) हुआ। उदाहरण-के लिए, बांध के समीप Statue of Unity का निर्माण, Kevadia को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना आदि। (Wikipedia)
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विवाद और नकारात्मक प्रभाव
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स्थानीय जनता की विस्थापन समस्या (Displacement)
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कई गाँव और आदिवासी समुदाय इस परियोजना से प्रभावित हुए। उन्हें अपनी जमीन, खेती, जंगल और समाजिक बुनिया-ढाँचे (social infrastructure) खोना पड़ा। (The Guardian)
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पुनर्वास और मुआवजे के मसलों में देरी या अपर्याप्तता की शिकायतें उठीं। (The Guardian)
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पर्यावरणीय प्रभाव
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जलाशय बनने के बाद पारिस्थितिकी तंत्र (flora, fauna) प्रभावित हुए। जंगल डूबे, वन्य-जीवों के आवासों में कमी हुई।
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नदी के जल प्रवाह में बदलाव से नीचे के हिस्सों में जल ग्रहण, मछली प्रजातियाँ आदि प्रभावित हुईं।
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न्यायालयीन और विधिक अड़चने
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पर्यावरण और सामाजिक न्याय की मांगों के कारण सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों में कई मामलों की सुनवाई हुई। बांध की ऊँचाई, अगली दरवाजों का खुलना-बंद होना आदि विवादित रहे। (The Guardian)
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मीडिया व सार्वजनिक बहस
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इस परियोजना को देश-विदेश में विकास बनाम पर्यावरण तथा मानव अधिकारों के संघर्ष के उदाहरण के रूप में देखा गया। Narmada Bachao Andolan ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। (The Guardian)
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वर्तमान स्थिति और उपयोग (Current Status & Utilization)
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बांध अब सक्रिय है और ऊँचाई लगभग 163 मीटर तक पहुँच चुकी है। (Wikipedia)
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बिजली उत्पादन एवं जल वितरण नियमित रूप से हो रहा है। (Wikipedia)
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सिंचाई नेटवर्क व नहर प्रणाली (canal system) द्वारा खेती और ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ मिल रहा है। (BYJU'S)
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पर्यटन का केन्द्र बनने की दिशा में बांध के आस-पास अवसंरचनाएँ (infrastructure) बढ़ी हैं, जैसे कि Statue of Unity, Kevadia डेवलपमेंट आदि। (Wikipedia)
विश्लेषण और सुझाव (Analysis & My Views)
मेरे विचार में, सरदार सरोवर बांध एक बहुत बड़ी परियोजना है जिसमें विकास, पानी, बिजली और मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने की शक्तिशाली क्षमता है, लेकिन इस तरह के बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के साथ सामाजिक न्याय, पर्यावरण संतुलन और पारदर्शता का भी पूरा ध्यान देना चाहिए।
क्या सही हुआ?
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बांध की परियोजना ने वर्षों की देरी और विवादों के बाद सफलता पाई, जो यह दिखाता है कि यदि राजनीति, न्यायालय, वैज्ञानिक अध्ययन और समाज मिलकर काम करें तो बड़ी बाधाएँ पार हो सकती हैं।
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जल संसाधन प्रबंधन और विद्युत उत्पादन के मामले में यह बहुत बड़ा योगदान है, विशेषकर सूखे-प्रवण क्षेत्रों में।
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लोक-उपयोग (public utility), सार्वजनिक हित और सरकार की क्षमता का प्रस्तुतीकरण हुआ है कि कैसे बड़े पैमाने पर निवेश करके राज्य की आधारभूत ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं।
किस तरह की कमी रही?
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विस्थापन (displacement) और पुनर्वास (rehabilitation) की प्रक्रिया में कई बार शिकायतें सुनी गई। मुआवजा, जीवनशैली में बदलाव, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षति आदि मुद्दे लंबे समय से हैं।
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पर्यावरणीय अध्ययन और प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment) समय-समय पर हो रहें, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कार्यान्वयन और निगरानी (monitoring) की कमी महसूस की गई है।
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सूचना की पारदर्शिता: प्रभावितों को वास्तविक स्थिति, समय-सीमा, मुआवजे और पुनर्वास के विकल्प आदि के बारे में स्पष्ट एवं सुलभ जानकारी नहीं मिल पाई कुछ जगहों पर।
सुझाव
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पुनर्वास और सामाजिक न्याय पर विशेष ध्यान
प्रभावित लोगों को सिर्फ जमीन मुआवजा नहीं, बल्कि बेहतर आवास, शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाएँ, रोज़गार के अवसर आदि सुनिश्चित किए जाएँ। -
पर्यावरण संरक्षण के उपायों को मज़बूती से लागू करना
जैव विविधता की रक्षा, नदी के पारितंत्र (ecosystems), मछलियों के प्रवास मार्ग आदि को सुचारु रखने की योजनाएँ बननी चाहिए। -
न्यायालयीन निर्देशों और शर्तों की निगरानी
बांध की ऊँचाई, जल स्तर, गेट्स खोलने-बंद करने आदि के मामलों में सुप्रीम कोर्ट या नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन होना चाहिए। -
स्थायी विकास व स्थानीय भागीदारी
स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित हो – निर्णय लेने में, पुनर्वास योजनाओं में, पर्यावरण अध्ययन में। -
प्रयुक्त प्रौद्योगिकी और बेहतर प्रबंधन
जल रिसाव (seepage), गाद (sedimentation), पानी की गुणवत्ता आदि तकनीकी चुनौतियाँ होती हैं – इन पर शोध और बेहतर प्रबंधन आवश्यक है।
भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर (Future Challenges & Opportunities)
चुनौतियाँ
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जलवायु परिवर्तन: वर्षा पैटर्न बदल रहा है, सूखे और बाढ़ की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे बाँध का प्रबंधन कठिन होगा।
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भोजन सुरक्षा और कृषि निर्भरता: सिंचाई का पानी यदि समय पर और पर्याप्त रूप से न पहुँचे, तो किसानों की पैदावार प्रभावित होगी।
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समुदाय सुधार और सामाजिक संतुलन: विस्थापितों के कल्याण को सुनिश्चित करना एक लंबी प्रक्रिया है, नई पीढ़ियों के लिए शिक्षा और जीवन-शैली सुनिश्चित करना ज़रूरी है।
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पर्यावरणीय निगरानी और जोखिम प्रबंधन: पेरिसर्ती प्रभावों (cumulative impacts), जल-गुणवत्ता, जंगलों की कटाई, मछली प्रजातियों पर प्रभाव आदि की सतत निगरानी जरूरी है।
अवसर
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ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि: जल-विद्युत स्रोतों को और बेहतर बनाना, नई तकनीक अपनाना ताकि उत्पादन क्षमता बढ़े और स्थायित्व रहे।
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कृषि सुधार: आधुनिक सिंचाई तकनीक जैसे ड्रिप इरिगेशन, हार्वेस्ट पानी पुन: उपयोग आदि से पानी की बचत।
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टूरिज्म और स्थानीय व्यवसाय: Kevadia और बांध के आस-पास पर्यटन विकास प्रस्तावों को बढ़ाया जा सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
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नीति-सुधार व संवैधानिक दृष्टिकोण: जल नीति, राज्य-संघ संबंध, न्यायालयीन शर्तों और पर्यावरण कानूनों को और मजबूती देने की ज़रूरत है।
निष्कर्ष
सरदार सरोवर बांध एक बहु आयामी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है — जिसमें विकास, राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय सुरक्षा सभी जुड़े हुए हैं। 2017 में उद्घाटन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, लेकिन कहानी यहीं समाप्त नहीं होती; असली सफलता होगी जब प्रभावित लोगों का पुनर्वास उचित हो, पर्यावरण संतुलन बनी रहे, और बांध पूरे क्षमता पर चले बिना किसी जोखिम के।
यह परियोजना यह सुझाव देती है कि भारत जैसे देश में विकास और न्याय का संतुलन कैसे किया जाए। भविष्य में इस तरह के प्रोजेक्ट्स में योजना-निर्माण से लेकर निगरानी एवं सामाजिक भागीदारी तक प्रत्येक चरण में पारदर्शिता और जवाबदेही ज़रूरी होगी।
नीचे सरदार सरोवर बांध (Sardar Sarovar Dam) से जुड़े 20 अति-महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर दिए जा रहे हैं, जो परीक्षाओं की दृष्टि से उपयोगी हैं।।
1️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध किस नदी पर बनाया गया है?
उत्तर: नर्मदा नदी पर।
2️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन किस वर्ष और किसने किया?
उत्तर: 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया।
3️⃣ प्रश्न: इस बांध का निर्माण कार्य आधिकारिक रूप से कब शुरू हुआ था?
उत्तर: 5 अप्रैल 1987 को।
4️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर परियोजना का मूल उद्देश्य क्या था?
उत्तर: सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण।
5️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई कितनी है?
उत्तर: 163 मीटर (लगभग 538 फीट)।
6️⃣ प्रश्न: बांध की कुल लंबाई कितनी है?
उत्तर: लगभग 1,210 मीटर (1.21 किलोमीटर)।
7️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध किस योजना का हिस्सा है?
उत्तर: नर्मदा वैली डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (Narmada Valley Development Project)।
8️⃣ प्रश्न: इस परियोजना से किन राज्यों को लाभ मिलता है?
उत्तर: गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश।
9️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध का नाम किस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा गया है?
उत्तर: सरदार वल्लभभाई पटेल।
10️⃣ प्रश्न: बांध की जलाशय क्षमता कितनी है?
उत्तर: लगभग 9.5 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM)।
11️⃣ प्रश्न: इस परियोजना से कितने मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है?
उत्तर: लगभग 1,450 मेगावाट (हाइड्रो पावर)।
12️⃣ प्रश्न: परियोजना का निर्माण एवं प्रबंधन किस प्राधिकरण द्वारा किया गया?
उत्तर: सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (SSNNL)।
13️⃣ प्रश्न: इस परियोजना से कितने हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव है?
उत्तर: लगभग 18 लाख हेक्टेयर (मुख्यतः गुजरात और राजस्थान में)।
14️⃣ प्रश्न: परियोजना से कितने गाँवों को पेयजल उपलब्ध कराया जाता है?
उत्तर: 9,000 से अधिक गाँवों को।
15️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर परियोजना को लेकर कौन सा बड़ा विवाद जुड़ा था?
उत्तर: नर्मदा बचाओ आंदोलन (Medha Patkar के नेतृत्व में) – पुनर्वास और पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर।
16️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध के निर्माण में मुख्य तकनीकी सहायता किस देश ने दी?
उत्तर: शुरुआती चरण में वर्ल्ड बैंक ने वित्तीय सहायता दी थी, बाद में विरोध के कारण बैंक ने सहायता वापस ले ली।
17️⃣ प्रश्न: इस परियोजना के अंतर्गत कितने स्पिलवे (फ्लड गेट) हैं?
उत्तर: 30 (मुख्य स्पिलवे गेट)।
18️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर बांध से कौन सा प्रमुख नहर नेटवर्क जुड़ा है?
उत्तर: नर्मदा मेन कैनाल (Narmada Main Canal)।
19️⃣ प्रश्न: नर्मदा मेन कैनाल की लंबाई कितनी है?
उत्तर: लगभग 458 किलोमीटर।
20️⃣ प्रश्न: सरदार सरोवर परियोजना का भारत के आर्थिक विकास में क्या योगदान है?
उत्तर: सिंचाई और पेयजल उपलब्धता, कृषि उत्पादन में वृद्धि, औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति और हरित ऊर्जा (हाइड्रो पावर) से भारत के पश्चिमी और मध्य राज्यों के आर्थिक विकास को प्रोत्साहन।
✅ परीक्षा टिप्स:
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तिथियों (1987 निर्माण शुरू, 2017 उद्घाटन) और आंकड़ों (ऊंचाई, लंबाई, क्षमता) को अच्छी तरह याद रखें।
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नर्मदा बचाओ आंदोलन और पर्यावरणीय प्रभाव पर दो-तीन वर्णनात्मक प्रश्न आ सकते हैं।
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लाभान्वित राज्यों और नहर नेटवर्क पर भी अक्सर वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं।
ये 20 प्रश्न-उत्तर UPSC/PCS, राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा, रेलवे और सामान्य ज्ञान वाली परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
सरदार सरोवर बांध इतिहास
Sardar Sarovar Dam inauguration 2017
Narmada Bachao Andolan
Narmada Water Dispute Tribunal
Sardar Sarovar Dam controversy
सरदार सरोवर जल विद्युत और सिंचाई
सरदार सरोवर बांध की विशेषताएँ
Kevadia dam Gujarat
Hydroelectric project Narmada
Dam displacement and rehabilitation
सरदार सरोवर का सामाजिक प्रभाव
India’s largest dam projects
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