राजस्थान का देवस्थान विभाग: स्थापना, इतिहास और वर्तमान भूमिका
प्रस्तावना
भारत की अनेक धाराओं एवं परम्पराओं में धार्मिक संस्थाएँ—मंदिर, तीर्थ, धर्मशालाएँ, चैरिटेबल संस्थाएँ आदि—समाज में सिर्फ आध्यात्मिक भूमिका नहीं निभातीं बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक पहचान की भी वाहक होती हैं। राजस्थान जैसा राज्य जिसमें अनेक महाराजाओं एवं रियासतों की विरासत है, वहाँ ये धार्मिक संस्थाएँ विशेष महत्व रखती हैं। देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार की वही संस्था है जो इन धार्मिक एवं परोपकारी संस्थाओं के प्रबंधन, संरक्षण और सुचारु संचालन के लिए जिम्मेदार है। इस लेख में हम देखेंगे कि राजस्थान के देवस्थान विभाग की शुरुआत कब हुई, किन-कानूनों के अधीन है, इसके इतिहास में कौन-से महत्वपूर्ण बदलाव हुए, वर्तमान में इसकी क्या-क्या जिम्मेदारियाँ हैं और भविष्य की चुनौतियाँ एवं अवसर क्या हैं।
स्थापना एवं प्रारंभिक समय (1949-1959)
राजस्थान राज्य का निर्माण 1949
जब भारतीय स्वतंत्रता के बाद कई रियासतों को एक-एक करके राजपथ में मिलाया गया, तब नया राज्य “राजस्थान” अस्तित्व में आया। (studylib.net)
इसी समय सरकार ने यह ज़िम्मेदारी ली कि उन धार्मिक एवं चैरिटेबल संस्थाओं (temples, math, mutts, dharmshalas आदि) का प्रबंधन व नियंत्रण सुनिश्चित किया जाए जो पूर्व रियासतों के अधीन थीं। (studylib.net)
देवस्थान विभाग की स्थापना
राजस्थान के देवस्थान विभाग (Devasthan Department) की स्थापना 1949 के समय हुई थी, राज्य के गठन के तुरंत बाद। (studylib.net)
हालांकि, विभाग को पूर्णतः मजबूत कानूनी आधार और नियम-विधियाँ बाद में विकसित हुईं। विशेषकर 1954 के Religious Buildings and Places Act, 1959 के Rajasthan Public Trust Act और 1959 के Fund Service Rules ने विभाग की शक्तियाँ, दायरा और दायित्व स्पष्ट किए। (devasthan.rajasthan.gov.in)
1954 का कानून – Religious Buildings and Places Act
1954 में राजस्थान ने Rajasthan Religious Buildings and Places Act, 1954 (Act No. 18 of 1954) पारित किया, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक धार्मिक भवनों एवं स्थानों (religious buildings and public places) के निर्माण एवं उपयोग से जुड़े विवादों को नियंत्रित करना था। (devasthan.rajasthan.gov.in)
1959: Public Trust Act & Fund Service Rules
• Rajasthan Public Trust Act, 1959 — इस अधिनियम ने सार्वजनिक ट्रस्टों (Public Trusts) को कानूनी दर्जा दिया, उनमें पंजीकरण, लेखा-जोखा, ऑडिट, प्रबंधन की जवाबदेही आदि बातें निर्धारित कीं। (devasthan.rajasthan.gov.in)
• Fund Service Rules, 1959 — ये नियम उन मंदिरों या धार्मिक संस्थाओं के कर्मचारियों और वित्तीय सहायता देने वालों के सम्बंध में बनाए गए जिनके पास “विश्वासी निधि” (funded / self-supporting) संस्थाएँ हैं। ये नियम यह तय करते हैं कि स्टाफ को कौन-सी तनख्वाह, भत्ता, छुट्टी आदि मिलेगी। (devasthan.rajasthan.gov.in)
स्थापना-विकास की समयरेखा
वर्ष
घटना
1949
राज्य राजस्थान का गठन, देवस्थान विभाग की प्रारंभिक स्थापना
1954
Religious Buildings and Places Act लागू किया गया (devasthan.rajasthan.gov.in)
1959
Public Trust Act एवं Fund Service Rules अधिनियमित हुए (devasthan.rajasthan.gov.in)
बाद के वर्षों
नए मंदिर बोर्ड बनाए गए (जैसे Sanwaria Ji Temple Board Act, 1992) आदि (India Code)
1959 में उदयपुर में विशेष: “Fund Service Rules” और विभागीय कार्यालय
जब आपने कहा कि 1959 में उदयपुर में देवस्थान विभाग की शुरुआत हुई — तो यह थोड़ा संशोधन योग्य है:
उदयपुर में Devasthan Department का कार्यालय स्थित है, क्योंकि उदयपुर, राजपूताना की कई पूर्व रियासतों में से महत्त्वपूर्ण था।
पर विभाग की स्थापना राज्यव्यापी 1949 में हुई थी; 1959 में कानून-विधियाँ और नियम अधिनियमित हुए जिससे विभाग को कानूनी तरीकों से अधिकार मिले। उदयपुर कार्यालय संभवतः उस समय विभाग के प्रमुख केंद्रों में से एक बना।
Fund Service Rules, 1959 उदयपुर कार्यालय सहित राज्य के सभी जिलों में लागू हुए; नियम निर्धारित करते हैं कि किन मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं को राज्य-सरकार से अनुदान या पेंशन आदि सहायता मिलेगी, कर्मचारी कैसे नियुक्त होंगे, उनका वेतन क्या होगा। (devasthan.rajasthan.gov.in)
कानूनी अधिकार, अधिनियम और नियम
Religious Buildings and Places Act, 1954
इस एक्ट के अंतर्गत सार्वजनिक धार्मिक भवनों का निर्माण, सुधार (repair), उपयोग, और निर्धारण कि कोई नया धार्मिक भवन सार्वजनिक जगह बन जाएगा या नहीं, इन सबका प्रावधान है। विवाद की स्थिति में अदालत-प्रवेश की व्यवस्था है। (devasthan.rajasthan.gov.in)
Rajasthan Public Trust Act, 1959
• सार्वजनिक ट्रस्टों की पंजीकरण प्रक्रिया
• ट्रस्टों के खातों का ऑडिट
• ट्रस्ट प्रबंधक की जवाबदेही
• ट्रस्ट की अंतर्गत धार्मिक संस्थाएँ, धर्मशालाएँ आदि शामिल। (devasthan.rajasthan.gov.in)
Fund Service Rules, 1959
इस नियमावली के तहत विभाग के अधीन अनेक हिन्दू मंदिरों एवं संस्थाओं के स्टाफ की सेवा-शर्तें निर्धारित हुई: वेतन, छुट्टियाँ, प्रस्थान-परावर्तन नियम, अनुपस्थिति आदि। (devasthan.rajasthan.gov.in)
नाथद्वारा मंदिर विशेष रूप से कानून की श्रेणी में है। यह अधिनियम नाथद्वारा मंदिर प्रबंधन को एक विशिष्ट कानूनी पहचान देता है। (India Code)
मंदिर बोर्ड व विशेष प्रावधान
बाद के वर्षों में, कुछ बड़े मंदिरों के लिए विशेष बोर्ड बनाए गए, जैसे Sanwaria Ji और अन्य, जिनके प्रबंधन-नियंत्रण में मंदिर ट्रस्ट या बोर्ड विशेष कानूनी अधिनियमों के अंतर्गत आते हैं। (India Code)
देवस्थान विभाग की ज़िम्मेदारियाँ और कार्य-क्षेत्र
देवस्थान विभाग की वर्तमान भूमिका एवं जिम्मेदारियाँ निम्न हैं:
मंदिरों और तीर्थों का प्रबंधन
पूर्व रियासतों से उत्तराधिकार में प्राप्त मंदिरों, तीर्थस्थलों, धर्मशालाओं आदि की देखभाल, प्रबंधन और उनके दैनिक कार्यों की निगरानी। (studylib.net)
अनुदान तथा आर्थिक सहायता
जिन मंदिरों / धर्मशालाओं का राजस्व पर्याप्त न हो, उन्हें अनुदान (Grants-in-aid), पेंशन / वार्षिक देयता (annuities) आदि देना। संस्कृतिक एवं धार्मिक गतिविधियों हेतु बजट देना। (studylib.net)
धार्मिक एवं सार्वजनिक ट्रस्टों का नियंत्रण
Public Trust Act के अंतर्गत पंजीकरण, ऑडिट, विश्वासियों की शिकायतों का निस्तारण। ट्रस्टों के खातों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना। (devasthan.rajasthan.gov.in)
कानूनी प्रावधानों के अधीन विवादों का निपटान
मंदिरों / धार्मिक संस्थाओं के बीच टकराव, मंदिरों की जमीन आदि से जुड़ी मामलों में विभाग की भूमिका न्यायालयीन और प्रशासनिक होती है। (Indian Kanoon)
धार्मिक पर्यटन और संस्कृति संवर्धन
तीर्थयात्राओं के आयोजन, धार्मिक उत्सवों का समर्थन, मंदिरों की सूचना-पुस्तिकाएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि, तीर्थस्थलों एवं मंदिरों को पर्यटन-स्थलों के रूप में विकसित करना। (studylib.net)
कॉई विशेष मंदिर बोर्ड
जैसे नाथद्वारा, Sanwalia Ji आदि, जिनके लिए विशेषBoards/Acts बनाए गए हैं। इन बोर्डों के प्रबंधन के नियम व प्राधिकार सामान्य देवस्थान विभाग से भिन्न हो सकते हैं। (India Code)
महत्वपूर्ण घटनाएँ एवं बदलाव
क़ानूनों का विकास: स्थापना के बाद से विभाग के कामकाज में समय-समय पर अनेक कानूनों में बदलाव हुए हैं ताकि प्रशासन, वित्तीय पारदर्शिता और श्रद्धालुओं के हित बेहतर हों।
ऑडिट एवं जवाबदेही बढ़ाना: Public Trust Act के अंतर्गत ऑडिट की सख्ती बढ़ी और ट्रस्टों को समय पर लेखा-जोखा प्रस्तुत करना अनिवार्य हुआ।
धार्मिक-पर्यटन का विकास: हाल के वर्षों में सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देती है; मंदिरों को पर्यटन मैप से जोड़ने, सूचना सहायक सुविधाएं देने आदि पहलों पर जोर है। (The Times of India)
समुदाय और प्रबंधन विवाद: कभी-कभी मंदिरों के स्वामी (महंत, ट्रस्ट प्रबन्धक आदि) और विभाग के बीच राम-राष्ट्र विवाद, प्रयोग, अधिकार आदि पर विवाद होते रहे हैं। न्यायालयीन निर्णयों ने सिद्ध किया है कि कानूनी अधिकारों का संतुलन ज़रूरी है। (Indian Kanoon)
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में देवस्थान विभाग राजस्थान की सरकार के नीचे एक स्थापित विभाग है जिसका मुख्यालय उदयपुर सहित राज्य भर में कार्यालय हैं। इसके कामों में शामिल हैं:
कर्मचारियों की सेवा शर्तों का पालन
मंदिरों की मरम्मत-देखभाल, जीर्णोद्धार
श्रृद्धालुओं की सहूलियतें (उदाहरण: तीर्थ-यात्रा योजनाएँ, सुविधाएँ)
सार्वजनिक ट्रस्टों से संबंधित शिकायतों का निवारण
धार्मिक भवनों और स्थानों की अनुमति एवं नियंत्रण (Religious Buildings Act के अंतर्गत)
बढ़ती ज़रूरतों के अनुरूप वित्तीय संसाधन, पारदर्शिता और सूचना प्रबंधन
चुनौतियाँ एवं भविष्य के अवसर
चुनौतियाँ
वित्तीय संसाधान की कमी
कई मंदिरों की आय अपर्याप्त होती है, रख-रखाव, सुरक्षा, मरम्मत आदि के लिए पर्याप्त बजट नहीं मिलता।
पुरानी धरोहरों का संरक्षण
ऐतिहासिक मंदिरों, मठों, तीर्थस्थलों की निर्माण सामग्री, स्थापत्य कला और संरचनात्मक अखंडता को बनाए रखना कठिन है।
यात्री सुविधाएँ एवं आधुनिकीकरण
ढंग की सुविधाएँ जैसे साफ-सफाई, शौचालय, पानी, पार्किंग, सुरक्षा आदि जरूरी हैं।
प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही
ट्रस्टों, महंतों आदि के स्वैच्छिक व्यवहार और विभागीय नियंत्रण के बीच संतुलन बनाए रखना।
कानूनी विवाद और ज़मीन सम्बन्धी मामले
मंदिर-भूमि, प्रबंधन अधिकार, संपत्ति विवाद आदि मामलों में समय-समय पर संघर्ष होते रहते हैं, जो कानूनी जटिलता बढ़ाते हैं।
अवसर
धार्मिक पर्यटन का संवर्धन
मंदिरों तथा तीर्थों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करके स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा। सरकार की योजनाएँ इसमें सहायक हो सकती हैं।
डिजिटल व्यवस्थाएँ और सूचना प्रसार
मंदिरों की वेबसाइट, ट्रस्टों के वित्तीय विवरण ऑनलाइन, मोबाइल ऐप, ई-दर्शन आदि।
समुदाय की भागीदारी
स्थानीय समुदाय, सेवा-समूह और धर्म प्रसारक मिलकर मंदिरों के रख-रखाव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को मजबूत कर सकते हैं।
अंतर-राज्यीय एवं अंतर-राष्ट्रीय सहयोग
UNESCO जैसे संस्थाओं, पुरातत्व विभाग आदि से सहयोग कर heritage site के रूप में मान्यता, संरक्षण और फंडिंग प्राप्त करना।
निष्कर्ष
राजस्थान का देवस्थान विभाग सिर्फ मंदिरों की देखभाल करने वाली सरकारी इकाई नहीं है, बल्कि यह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक झरोखा है जो राज्य की विविधता और इतिहास को जीवित रखता है। 1949 में इसकी स्थापना से लेकर 1959 के Public Trust Act और Fund Service Rules तक, विभाग ने अनेक महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं। आज के समय में जब धार्मिक पर्यटन, डिजिटल पारदर्शिता और heritage संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है, देवस्थान विभाग के हित में है कि वह अपने कानूनी अधिकारों से लगे रहे, और समय-समय पर सुधार करता रहे।
राजस्थान देवस्थान विभाग इतिहास
Devasthan Department Rajasthan
राजस्थान सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम 1959
मंदिर प्रबंधन राजस्थान
देवस्थान विभाग स्थापना 1949 / 1959
Rajasthan Religious Buildings Places Act 1954
Nathdwara Temple Act 1959
F
und Service Rules Devasthan Rajasthan
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