सुखाड़िया सर्किल: उदयपुर की वो धड़कन जहाँ फव्वारे, स्वाद और यादें एक साथ मिलते हैं

 

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उदयपुर, एक ऐसा शहर जिसका नाम लेते ही ज़हन में शाही महल, शांत झीलें और अरावली की हरी-भरी पहाड़ियाँ उभर आती हैं। लेकिन इस शाही शान-ओ-शौकत के बीच एक ऐसी जगह है, जो न तो कोई महल है और न ही कोई झील, फिर भी यह शहर की आत्मा में बसती है। यह उदयपुर की अपनी 'चौपाटी' है, एक ऐसा गुलज़ार चौराहा जहाँ दिन का ट्रैफिक रात के जश्न में बदल जाता है। हम बात कर रहे हैं सुखाड़िया सर्किल की।

यह सिर्फ एक गोल चक्कर या फव्वारा नहीं है, बल्कि यह उदयपुर के लोगों के लिए एक एहसास है। यह वह जगह है जहाँ परिवार एक साथ नाव की सवारी करते हैं, दोस्त पाव भाजी की प्लेट पर गपशप करते हैं और जहाँ की हवा में तैरती खाने की महक और पानी की फुहारें दिन भर की सारी थकान मिटा देती हैं। 1968 में बनी और 1970 में जनता को समर्पित की गई यह जगह आज भी उतनी ही जीवंत है, जितनी 50 साल पहले थी। चलिए, आज इस खूबसूरत सर्किल के इतिहास, इसकी बनावट और इसकी उस अनकही कहानी को जानते हैं, जो इसे उदयपुर का दिल बनाती है।



इतिहास के पन्ने: क्यों और कैसे बना सुखाड़िया सर्किल?

हर स्मारक के पीछे एक कहानी और एक दृष्टिकोण होता है। सुखाड़िया सर्किल की कहानी 'आधुनिक राजस्थान के निर्माता' कहे जाने वाले श्री मोहन लाल सुखाड़िया के दृष्टिकोण से जुड़ी है।

मोहन लाल सुखाड़िया, जो रिकॉर्ड 17 वर्षों तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, उदयपुर को एक आधुनिक और प्रगतिशील शहर के रूप में विकसित करना चाहते थे। वे चाहते थे कि उदयपुर की पहचान सिर्फ इसके ऐतिहासिक किलों और महलों तक सीमित न रहे, बल्कि यहाँ के आम नागरिकों के लिए खूबसूरत सार्वजनिक स्थान भी हों, जहाँ वे अपने परिवार के साथ सुकून के पल बिता सकें।

इसी सोच के साथ 1960 के दशक के अंत में शहर के उत्तरी हिस्से, पंचवटी में एक बड़े चौराहे को विकसित करने की योजना बनाई गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दो थे:

  1. यातायात का सुचारू प्रबंधन: यह एक प्रमुख चौराहा था, और एक व्यवस्थित गोल चक्कर बनाने से ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद मिलती।

  2. एक मनोरंजक केंद्र का निर्माण: इसे सिर्फ एक ट्रैफिक आइलैंड न बनाकर एक ऐसा केंद्र बनाने की योजना थी, जो शहर के लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बने।

इसका निर्माण कार्य 1968 में शुरू हुआ और दो साल की मेहनत के बाद 1970 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया। इसका नामकरण मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया के सम्मान में किया गया, जिन्होंने इस परियोजना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह सर्किल उस दौर में उदयपुर के आधुनिकीकरण का एक प्रतीक बन गया।

वास्तुकला का अनुपम सौंदर्य: सर्किल का दिल, वो तीन मंजिला फव्वारा

सुखाड़िया सर्किल की सबसे बड़ी पहचान इसका केंद्र बिंदु, वह विशाल और भव्य फव्वारा है। यह कोई साधारण फव्वारा नहीं है, बल्कि कला और वास्तुकला का एक सुंदर नमूना है।

  • बनावट और डिज़ाइन: यह फव्वारा तीन मंजिला (Three-tiered) है और इसकी कुल ऊंचाई लगभग 21 फीट है। इसे शुद्ध सफेद संगमरमर से बनाया गया है, जो रात की रोशनी में दूधिया चमक बिखेरता है। इसकी संरचना एक शंकु (Cone) के आकार की है, जो ऊपर की ओर पतली होती जाती है।

  • गेहूँ की बाली का प्रतीक: फव्वारे के डिज़ाइन की सबसे खास बात इसके शीर्ष पर बनी नक्काशी है, जो गेहूँ की बालियों (Wheat-ear motif) जैसी दिखती है। यह प्रतीक उस समय राजस्थान की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था और समृद्धि का द्योतक था। यह एक सूक्ष्म लेकिन गहरा संदेश था कि राज्य का विकास उसकी कृषि संपदा से जुड़ा हुआ है।

  • पानी और रोशनी का खेल: जब यह फव्वारा अपनी पूरी क्षमता से चलता है, तो पानी की हजारों बूंदें संगीत की धुन पर थिरकती हुई महसूस होती हैं। शाम के समय, जब रंग-बिरंगी लाइटें इस पर पड़ती हैं, तो इसका नज़ारा किसी जादुई दुनिया से कम नहीं लगता। यह पानी, रोशनी और संगमरमर का एक ऐसा संगम है, जो आँखों को सुकून देता है।

इस फव्वारे के चारों ओर एक बड़ा तालाब है, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देता है। तालाब का शांत पानी रात में फव्वारे और उसकी रोशनी के प्रतिबिंब को अपनी सतह पर समेट लेता है, जिससे एक अद्भुत दृश्य पैदा होता है।

मनोरंजन का पूरा पैकेज: बोटिंग, ऊँट की सवारी और बहुत कुछ

सुखाड़िया सर्किल सिर्फ देखने की जगह नहीं है, यह अनुभव करने की जगह है। यहाँ हर उम्र के व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ है, जो इसे एक आदर्श पारिवारिक अड्डा बनाता है।

  • बोटिंग का मज़ा: सर्किल के तालाब में बोटिंग करना यहाँ का सबसे लोकप्रिय आकर्षण है। यहाँ आपको पैडल बोट्स और छोटी मोटर बोट्स मिल जाएँगी। बच्चों और कपल्स के बीच हंस के आकार की पैडल बोट्स (Swan Boats) विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। ठंडी हवा के झोंकों के बीच, फव्वारे के चारों ओर नाव चलाना एक बेहद आरामदायक और मजेदार अनुभव है।

  • बच्चों के लिए जन्नत: बच्चों के लिए यहाँ खिलौने बेचने वाले, गुब्बारे वाले और छोटे-मोटे झूले भी होते हैं। ऊँट और घोड़े की सवारी का विकल्प भी यहाँ अक्सर मिलता है, जो बच्चों को खूब आकर्षित करता है।

  • एक शांत कोना: जिन्हें शांति पसंद है, वे तालाब के किनारे लगी बेंचों पर बैठकर फव्वारे को निहार सकते हैं, ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं और शहर की भागदौड़ से कुछ पल के लिए दूर हो सकते हैं।

स्वाद का महासंगम: उदयपुर की सबसे बड़ी 'ओपन-एयर फूड कोर्ट'

अगर फव्वारा सुखाड़िया सर्किल का दिल है, तो इसकी आत्मा यहाँ के स्ट्रीट फूड स्टॉल्स में बसती है। जैसे ही शाम ढलती है, सर्किल का बाहरी घेरा एक विशाल 'ओपन-एयर फूड कोर्ट' में तब्दील हो जाता है। यहाँ की हवा में पाव भाजी के मक्खन की सिज़लिंग, भेलपुरी के मसालों की चटपटी खुशबू और गरमागरम कॉर्न की सौंधी महक घुल जाती है।

यह उदयपुर का वो कोना है जहाँ आपको शहर का सबसे अच्छा और सबसे विविध स्ट्रीट फूड चखने को मिलेगा। यहाँ की कुछ खास चीजें जो आपको जरूर ट्राई करनी चाहिए:

  • बॉम्बे पाव भाजी: बड़े से तवे पर मक्खन में सिंकती हुई मसालेदार भाजी और नरम पाव, यहाँ की पाव भाजी का स्वाद आपकी ज़ुबान पर हमेशा के लिए रह जाएगा।

  • चटपटी भेलपुरी और चाट: तीखी, मीठी और खट्टी चटनियों से सराबोर भेलपुरी और सेव पुरी यहाँ का एक और लोकप्रिय स्नैक है।

  • उदयपुर स्टाइल कोल्ड कॉफी: यहाँ मिलने वाली गाढ़ी और झागदार कोल्ड कॉफी बेहद प्रसिद्ध है। यह किसी भी महंगे कैफे की कॉफी को टक्कर दे सकती है।

  • अन्य विकल्प: इनके अलावा, यहाँ आपको चाइनीज़ नूडल्स, फ्राइड राइस, कई तरह के सैंडविच, डोसा, पिज़्ज़ा, फालूदा, आइसक्रीम और गरमागरम गोलगप्पे (पानी पुरी) की अनगिनत वैरायटी मिल जाएगी।

यह कहना गलत नहीं होगा कि सुखाड़िया सर्किल ने उदयपुर में स्ट्रीट फूड कल्चर को एक नई पहचान दी है। यह वो जगह है जहाँ एक आम आदमी से लेकर बड़े से बड़ा परिवार भी सड़क किनारे खड़े होकर इन लज़ीज़ व्यंजनों का लुत्फ़ उठाता है।

आज के दौर में सुखाड़िया सर्किल की प्रासंगिकता

समय के साथ उदयपुर बहुत बदल गया है, लेकिन सुखाड़िया सर्किल की रौनक आज भी वैसी ही है। यह आज भी शहर के सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

  • मीटिंग पॉइंट: यह दोस्तों और परिवारों के लिए एक आसान और लोकप्रिय मीटिंग पॉइंट है।

  • तनाव दूर करने की जगह: दिन भर की भागदौड़ और काम के तनाव के बाद, यहाँ की जीवंत और खुशनुमा माहौल में कुछ समय बिताना एक थेरेपी की तरह काम करता है।

  • पर्यटकों का आकर्षण: हालाँकि यह महलों जितना प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन पर्यटक भी उदयपुर के स्थानीय जीवन का अनुभव करने और यहाँ के स्ट्रीट फूड का स्वाद चखने के लिए बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं।

यह सर्किल इस बात का प्रमाण है कि एक अच्छी तरह से পরিকল্পিত सार्वजनिक स्थान कैसे समय की कसौटी पर खरा उतरता है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों के जीवन का हिस्सा बना रहता है।

निष्कर्ष: सिर्फ एक चौराहा नहीं, यादों का खज़ाना

सुखाड़िया सर्किल सिर्फ संगमरमर, पानी और रोशनी से बना एक ढाँचा नहीं है। यह उन अनगिनत शामों का गवाह है जो परिवारों ने यहाँ साथ बिताई हैं, उन दोस्तों की हँसी का साक्षी है जो यहाँ गूंजी है, और उन स्वादों का संगम है जिसने उदयपुर के लोगों को एक साथ जोड़ा है।

यह मोहन लाल सुखाड़िया के उस सपने का साकार रूप है, जहाँ विकास का मतलब सिर्फ इमारतें बनाना नहीं, बल्कि लोगों के लिए खुशियाँ और यादें बनाने की जगहें तैयार करना भी है। अगली बार जब आप उदयपुर में हों, तो महलों की भव्यता देखने के बाद एक शाम सुखाड़िया सर्किल के नाम ज़रूर करें। नाव की सवारी करें, पाव भाजी का स्वाद चखें और उस जीवंत माहौल को महसूस करें, और आप समझ जाएँगे कि क्यों यह जगह उदयपुर की धड़कन कहलाती है।


सुखाड़िया सर्किल उदयपुर (Sukhadia Circle Udaipur)


उदयपुर में घूमने की जगहें (Places to visit in Udaipur)


मोहन लाल सुखाड़िया का इतिहास (History of Mohan Lal Sukhadia)


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सुखाड़िया सर्किल का फव्वारा (Sukhadia Circle Fountain)


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सुखाड़िया सर्किल बोटिंग (Sukhadia Circle Boating)



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